August manch sanchalan script 2018-19
जब घायल हुआ हिमालय, खतरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी साँस लड़े वो, फ़िर अपनी जान गवां दी
संगीन पे धर कर माथा, सो गये अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुरबानी।
जब तक थी साँस लड़े वो, फ़िर अपनी जान गवां दी
संगीन पे धर कर माथा, सो गये अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुरबानी।
एंकर फीमेल – दोस्तो, केवल मेरी या आपकी ही नहीं, भारत में रहने वाले हर एक वाशिंदें ने जब-जब यह गीत सुना है, उनकी आँखें नम हो आतीं हैं। तिरंगे की आँखों में आँखें डालो तो दिखने लगता है वह संवेदनशील आलम जब 1962 में चीन के साथ हुये युद्ध में हमारे वतन की भारी जनहानि हुई थी।
एंकर मेल – जी हाँ, उस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुये सैकड़ों वीर सैनिकों की याद में श्रद्धांजलि स्वरूप यह गीत, जब लाल किले की प्राचीर से लता मंगेशकर जी ने गाया था तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू एवं उपस्थित भारी जन समूह की आँखों से टप-टप आँसू गिरने लगे थे। ह्रदय में उमड़ती उस पीर को दो पंक्तियों से परिभाषित करना चाहता हूँ कि…
बातें छोटी हो गईं सभी, वो जीत गये हम हार गये
सबसे गहरा गम सबको था, अपने अपनों पर वार गये।
सबसे गहरा गम सबको था, अपने अपनों पर वार गये।
एंकर फीमेल -निश्चित रूप से बहुत गहन पीड़ा थी हमारे अपने वीर सैनिकों को खोने की। दोस्तों, आज़ादी की जंग हो या चीन पाकिस्तान से युद्ध। यादाश्त के पन्नों पर वक्त की गर्द अवश्य चढ़ गई है लेकिन हमारी आपकी नसों में उन्हीं वीर शहीदों का रक्त दौड़ रहा है जिन्होंने तिरंगे के सम्मान में अपने प्राण तक न्योछावर कर दिये।
एंकर मेल – बिल्कुल, और जो हमारी नसों में दौड़ते हैं उन्हें भूलने का तो कोई प्रश्न ही पैदा नहीं होता। हो ही नहीं सकता।
एंकर फीमेल – हाँ इतना अवश्य है कि एक ख़ास दिन, ख़ास समय, हम उन ख़ास हस्तियों को ख़ास तरीके से याद करके उन्हें नमन करते हैं, उनको कृतज्ञता प्रेषित करते हैं।
एंकर मेल – और आज ऐसा ही ख़ास अवसर है। आज हमारे देश का 72वां स्वतंत्रता दिवस हैं। आज हम देश की आन बान शान के लिये सर कटा देने वाले अमर शहीदों को अपनी नम आँखों के अश्रु सुमन चढ़ायेंगें तथा और ऊँचाई, सबसे ज्यादा ऊँचाई से प्यारा तिरंगा फहरायेंगे।
आज़ादी के इस महान राष्ट्रीय त्योहार पर, मैं आज के कार्यक्रम का होस्ट सिद्धार्थ सिंघई आप सब देशवासियों को हमारे नामचीन कॉलेज ……………. की ओर से जय हिन्द-वंदे मातरम कहते हुये आपका स्वागत करता हूँ।
एंकर फीमेल – बिल्कुल सिद्धार्थ। एक हाहाकारी अहद, प्राणान्तक जद्दोजहद, आसमाँ से बड़ी ज़िद और अंतिम फ़ैसले को उतारू ज़ज़्बा। इन सबके सामूहिक शंखनाद के कारण ही हम आज खुली हवा में साँस ले पा रहे हैं।
हम सब तथा हमारी आने वाली पीढ़ियां ऐसे ही स्वछंदता के साथ तिरंगा लहराते रहें, ऐसी पुनीत भावना के साथ मैं आज के कार्यक्रम की को-होस्ट शुभांगी श्रीवास्तव हमारे महाविद्यालय …………………..की तरफ से आप सभी तिरंगे के दीवानों का हार्दिक स्वागत करती हूँ।
ध्वजारोहण :-
एंकर मेल – ध्वजारोहण की पुनीत बेला आ गई है। हमारे मुख्य अतिथि xyz निगम के अध्यक्ष माननीय श्रीमंत ………………. जी हमारे मध्य पधार चुके हैं। आज के कार्यक्रम के अध्यक्ष माननीय श्रीमंत ………….. जी जो कि प्रसिद्ध उद्योगपति हैं तथा विशिष्ट अतिथि, हमारे..................... के चेयरमेन माननीय श्रीमंत …….. जी भी अपनी गरिमामयी सानिध्य हमें प्रदान करने के लिये यहाँ पधार चुके हैं।
एंकर फीमेल – हाँ जी, वह शुभ घड़ी आ गई है। लेकिन इससे पहले कि झंडारोहण का शुभारंभ हो मैं चाहती हूँ कि हमारी मानसिक स्थिति इस पुनीत कार्य के अनुकूल हो जाये। मैं 2 पंक्तियों के साथ वातावरण को बसंती रंग में तरबतर करना चाहती हूँ कि …
माता बहिनों ताऊ चाचा, भाई मुट्ठियाँ खोल
भारत माता की जय बोलो, वंदे मातरम बोल।
भारत माता की जय बोलो, वंदे मातरम बोल।
एक बार सभी जन जोरदार स्वर में जयकारा लगाएंगे।
भारत माता की…. , भारत माता की ….. , वंदे ……… , वंदे …………
भारत माता की…. , भारत माता की ….. , वंदे ……… , वंदे …………
एंकर मेल – बहुत बहुत धन्यवाद शुभांगी। अब मैं ध्वजारोहण की पारंपरिक रस्म को संपन्न करने के लिये हमारी डिग्निटीज़ को आमंत्रित करता हूँ। आप सब लोग अपने अपने स्थान पर खड़े हो जायें।
ध्वजारोहण और राष्ट्रगान के समापन पश्चात।
एंकर फीमेल – जोरदार तालियों की गड़गड़ाहट से तिरंगे को सम्मान प्रदान करें। मैं अपने अतिथियों को मंच पर स्थान ग्रहण करने का अनुरोध करती हूँ।
दीप प्रज्ज्वलन :-
एंकर फीमेल – दोस्तों, वक़्त है हमारे अमर शहीदों के शहादत की याद में माँ भारती के चित्र के समक्ष दिव्य दीप के प्रज्ज्वलन का। मैं हमारी गणमान्य विभूतियों से अनुरोध करती हैं कि वो दीप प्रज्जवलन का पवित्र क्रम सम्पन्न करें।
एंकर मेल – चार पंक्तियों के माध्यम से दीप प्रज्ज्वलन के क्रम को, शहीदों को अश्रुपूरित तथा ज्योतिर्मय नमन करके दिव्यता से परिपूरित करना चाहता हूँ कि….
हम हैं तुम्हारे नूर से रौशन, उजाला भर गया
यूँ ही रहे जगमग तुम्हारे, यश की ज्योति युग तलक।
यूँ ही रहे जगमग तुम्हारे, यश की ज्योति युग तलक।

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