Vidai shayari – फेयरवेल शायरी


Vidai Shayari

कोर पलकों की भीगी, तुम्हारे लिये
हो मोहब्बत सभी की, तुम्हारे लिये
आपकी शोहरतें, इत्र बनकर उड़े
हर ख़ुशी हो ज़मीं की, तुम्हारे लिये।
आपसे हौसलों को, हवा मिल गई
बेइलाजों को जैसे, दवा मिल गई
आपकी सोहबत, हमको ऐसी लगी
जैसे ख़्वाबों को सच्ची, दुआ मिल गई।
मिलने मिलाने का, ऐसा आनंद नहीं देखा
रिश्तों के लिये ऐसे, फिक्रमंद नहीं देखा
बॉस तो ज़िंदगी में, बहुत देखें हैं हमने 
पर उनका दिल, इतना बुलन्द नहीं देखा।
कहाँ से शुरू करें, कुछ समझ नहीं आता है
आपकी विदाई के ज़िक्र से, दिल भर आता है
आपकी ज़िंदादिली के, किस्से इतने मशहूर हैं
कि सम्मान से हम सबका, सर झुक जाता है।
सोच तो आपकी होगी, मगर आवाज़ देंगें हम
ख़्वाब तो आपने देखा, मगर आगाज़ देंगें हम
विदाई पर हमारी ओर से, उपहार इतना है
इरादे आपके होंगें, मगर परवाज़ देंगें हम।
जहाँ में आपसा कोई, कहाँ हमराह निकलेगा
दिलों को जीत ले ऐसा, कहाँ दिलदार निकलेगा 
ह्रदय में वेदना है, आपको कैसे विदा कर दें
समंदर भर कहाँ दिल में, किसी के प्यार निकलेगा।
चाहे जितने काँटे हों, गुलों का विछौना हो जाता है
मुश्किलों का पहाड़ भी आये, बौना हो जाता है
आप तो पारस पत्थर हैं, जिसको भी छू लेते हैं
वो लोहा-लोहा नहीं रहता, सोना हो जाता है।
बॉस तो बहुत आयेंगे पर, ऐसी शान नहीं होगी
सदा विजेता होने की, ऐसी पहचान नहीं होगी
यहाँ सबको पता है बॉस, आपके जाने के बाद
ब्रांच तो होगी पर, ब्रांच की ऐसी उड़ान नहीं होगी।
ख़्वाब देखो और जुट जाओ, हमने आपसे ही सीखा है
असंभव को संभव बनाओ, हमने आपसे ही सीखा है। 
मिलकर प्रयास करो, आसमाँ भी मुट्ठी में आ जायेगा
ज़िद करो और जीत जाओ, हमने आपसे ही सीखा है।
चले थे कभी ज़मीं से मगर, आसमाँ तक पहुंच गये
आपकी सरपरस्ती में हम, कहाँ से कहाँ तक पहुँच गये।
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धन्यवाद


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